आदमी बुलबुला है पानी का और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है,
डूबता भी है फिर उभरता भी है , फिर से बहता है ।।
Gulzar
शहर की हलचल के बीच में भी मेरी हर शाम ख़ामोश थी,
कल पहाड़ों की शांति में मैंने अपने अंदर के शोर को सुना ।।
Self
इतना भी नादान नहीं हूँ कि समझ ना सकूँ कि रंजिश है,
ना ही इतना समझदार कि समझ सकूँ कि क्यूँ है ।।
Self
इश्क़ होगा और बेहिसाब होगा ,
टूट कर होगा टूटने तक होगा ,
और सिर्फ़ तुझसे होगा ,
शान से होगा पर मेरी शर्तों पे होगा ।।
Piyush Mishra
ना दुआ में असर बाक़ी , ना आहों में असर बाक़ी,
तुझे अलविदा कहने के कई सारे तरीक़े बाक़ी,
है इन आँखों में तेरे अक्स की झलक बाक़ी,
और है अगर कुछ बाक़ी तो बस चश्मे-ऐ-तर बाक़ी ।।
Anonymous
दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए,
जब तक साँस ना टूटे जिए जाना चाहिए,
यूँ तो क़दम क़दम पे है दीवार सामने,
कोई ना हो तो ख़ुद से उलझ जाना चाहिए ।।
Nida Fazli
अल्फ़ाज़ों की जुंग में बेपनाह शुमार हुए , इस कदर बदनाम हुए की सियाह हो गए ||
Self