मैं math के सवाल जैसा वो English की poem जैसी,
मुझे समझने के लिए जोड़ना घटाना पड़ता है, और उसे समझने के लिए दिल लगाना पड़ता है ।।
मैं आँखों की गुस्तखियों जैसा वो बचपन की शरारत जैसी,
इन घुस्तखियों को बत्तमीजी ना समझना और उस ज़ालिम को मासूम ना समझना ।।
मैं उड़ती एक पतंग जैसा वो हौली हवा के झोके जैसी,
जो वो साथ रहे तो मैं आसमान छू जाऊँ और जो ना रहे तो कट के गिर जाऊँ ।।